भारत एक अत्यंत विशाल देश है जो पूरे विश्व में अपनी महान संस्कृति और पारंपरिक मूल्यों
के लिये प्रसिद्ध है। भारतीय संस्कृति और उसका इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन भारत
की एक अलग ही पहचान विश्व मे थी जिसके कारण विदेशी लोग यहाँ पढ़ने और व्यापार करने हेतु
आते थे। भारतीय विरासत बहुत मूल्यवान और समाज के लिए उपयोगी रही है| कला, स्थापत्य,
नृत्य एवं नाट्य, राज्यशास्त्र, अर्थशास्त्र, विमानविध्या, खगोलविध्या, वास्तू एवं
ज्योतिषशास्त्र इन सभी में भारत ने समाज और विश्व को अमूल्य ज्ञान प्रदान किया है ।
समय में बदलाव के कारण यह सब ज्ञानवर्धक बातें हमारे ग्रंथों तथा पुस्तकों में ही सीमित
होकर रह गई। नई शिक्षा नीति - २०२० में पुनः प्राचीन भारतीय ज्ञान को विस्तारित करने
पर जोर दिया गया है। गुजरात तकनीकी विश्वविध्यायल ने प्राचीन भारत की परम्पराएं, विरासत,
संस्कृति आदि को आज के समाज के समक्ष प्रस्तुत करने का संकल्प किया और इसी दिशा में
धरोहर - जीटीयू - सेंटर फॉर इंडिअन नॉलेज सिस्टम (DHAROHAR – GTU CENTRE FOR INDIAN
KNOWLEDGE SYSTEM) का आरम्भ किया। जीटीयू ने भीष्म इंडिक फाउंडेशन के साथ एक
समझौता ज्ञापन किया जिसके अंतर्गत भारतीय विरासत को आज की पीढ़ी के समक्ष रखने हेतु
लघु अवधि के प्रमाणपत्र अभ्यासक्रम प्रारम्भ करने का निर्णय लिया गया है। मुझे यह जानकार
बहुत खुशी हो रही है कि इन अभ्यासक्रमों के माध्यम से हम आज के युवाओं को भारत की प्राचीन
परंपरा और ज्ञान कौशल से अवगत कराएंगे। भारत की धरोहर को विश्वपटल पर पुनः स्थापित
करने के लिए आप सभी का सहयोग अपेक्षित है । शुभकामनाएँ
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